
हरि न्यूज
उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलानुशासक साध्वी देव प्रिया ने कहा कि मनुष्य को सदैव सत्य का आश्रय लेना चाहिए इससे उसका कभी अहित नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि मानव के हाथ में यह नहीं है कि सब उसके हितेषी हों परंतु मानव स्वयं सबका हितेषी हो यह निश्चित रूप से उसके हाथ में है। भगवत गीता के विभिन्न श्लोकों का संदर्भ देते हुए उन्होंने मानवीय व्यवहार के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
संस्कृत अकादमी के सचिव वाजश्रवा आर्य ने कहा कि संस्कृत साहित्य मानवीय व्यवहार को उत्कृष्ट करने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने बताया कि यदि जीवन में व्यावहारिक पक्ष को अच्छी तरह से समझना है तो प्रत्येक व्यक्ति को रामायण अवश्य पढ़नी चाहिए।कार्यक्रम में फीडबैक सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों के मध्य से स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय देहरादून से सुभाष बडोला, ऋषि संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार से जीवन चंद्र जोशी, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पर्यावरणविद् डॉक्टर विवेक शर्मा, आचार्यकुलम से भूपेंद्र गहतोड़ी ने संगोष्ठी के संबंध में अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की।कार्यक्रम में संस्कृत भारती के प्रांत संगठन मंत्री गौरव शास्त्री, डॉ० विन्दुमती द्विवेदी, डॉ० उमेश शुक्ल, सुशील चमोली , सहायक कुलसचिव संदीप भट्ट, सुनील कुमार सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे ।