
संस्कृत विश्वविद्यालय में अनुवाद कार्यशाला का समापन

हरि न्यूज
हरिद्वार।1 मार्च से उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा समिति , शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से संचालित की जा रही अनुवाद कार्यशाला का समापन हो गया।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पी वी बी सुब्रह्मण्यम ने अपने भाषण में कहा कि संस्कृत भाषा पूरे विश्व की भाषा है। संस्कृत भाषा के प्रचार के लिए उत्तराखंड की सभी संस्कृत संस्थाओं को एक होकर कार्य करना होगा। राज्य में 13 संस्कृत ग्राम बनाये गये हैं, इसलिये संस्कृत संस्थाओ के सभी अधिकारियों को एक साथ मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के बिना भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। प्रो सुब्रह्मण्यम ने बताया कि आज पूरे विश्व में संस्कृत भाषा की विशेषताएँ के जान मानस को प्रभावित कर रही है। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना संस्कृत भाषा में ही है। यही कारण है कि सरकार भी संस्कृत भाषा के प्रचार के लिए प्रयास कर रही है।
कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री कार्यशाला के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज पूरे देश में संस्कृत अनुवादकों की आवश्यकता है। आज सरल मानक संस्कृत में अनुवाद और पुस्तक लेखन की आवश्यकता है। इसलिए सभी विद्वानों को अब काम करने की आवश्यकता है।समापन समारोह के अवसर पर विषय विशेषज्ञ डा. श्रीओम शर्मा ने प्रतिभागियों को वाक्य निर्माण आने वाली कठनाई के निवारण की जानकारी देते कहा कि संस्कृत भाषा में अनुवाद करते समय विशेष रूप से संस्कृत में वाक्य रचना की भाषा शैली में व्याकरणात्मक सरल शब्दवाली का प्रयोग जनमानस को संस्कृत निष्ठ बनाती है।
विशिष्ट अतिथि डॉ वाजश्रवा आर्य, सचिव संस्कृत अकादमी ने संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा के विकास हेतु अकादमी एवं विश्वविद्यालय के द्वारा समय समय पर इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
अनुवाद कार्यशाला का सार श्रीमती मीनाक्षी सिंह रावत,संयोजिका एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रकाश चन्द्र पंत, समन्वयक अनुवाद कार्यशाला तथा कार्यक्रम संचालन डॉ विंदुमती द्विवेदी द्वारा किया गया।कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित कर शान्ति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
