
हरि न्यूज
हरिद्वार। पवनपुत्र हनुमान के जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर शुक्रवार को हरिद्वार स्थित प्राचीन हनुमान घाट मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। ढोल-नगाड़ों, बैंड-बाजों और जय श्रीराम के नारों के साथ निकली इस शोभायात्रा ने सम्पूर्ण हरिद्वार को भक्तिमय वातावरण में सराबोर कर दिया। भगवान हनुमान की सजीव झांकी को सुंदर पालकी में विराजमान कर बड़े हर्षोल्लास एवं श्रद्धा के साथ नगर भ्रमण कराया गया। शोभायात्रा में हनुमान चालीसा के पाठ, भजन-कीर्तन और भगवा ध्वज लहराते श्रद्धालु विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।

शोभायात्रा की शुरुआत प्राचीन हनुमान घाट मंदिर से हुई, जो रामघाट, विष्णुघाट, अपर रोड होते हुए हरकी पैड़ी पहुंची। हरकी पैड़ी पर विधिवत रूप से भगवान हनुमान का गंगाजल से अभिषेक एवं स्नान कराया गया। इसके बाद यात्रा मोती बाजार, बड़ा बाजार होते हुए पुनः हनुमान घाट मंदिर पर संपन्न हुई। मार्ग में श्रद्धालुओं ने फूलों की वर्षा कर भगवान हनुमान की झांकी का स्वागत किया। व्यापारियों द्वारा जगह-जगह जलपान व प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की गई थी।
इस पावन अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि भगवान हनुमान न केवल शक्ति और वीरता के प्रतीक हैं, बल्कि वे सेवा, समर्पण और सच्ची भक्ति की प्रेरणा भी हैं। उन्होंने युवाओं को हनुमान जी के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी और कहा कि हनुमान जी का जीवन हर युग में प्रासंगिक है।
प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत रवि पुरी महाराज ने बताया कि यह शोभायात्रा हर वर्ष हनुमान जन्मोत्सव पर निकाली जाती है, जिसमें संत समाज, व्यापारी वर्ग और श्रद्धालुजन बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। इस वर्ष भी हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक भव्य बना दिया।
श्री परशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि हनुमान जन्मोत्सव जैसे पावन पर्व समाज को एकजुट करने और आध्यात्मिक चेतना जागृत करने का कार्य करते हैं। ऐसे आयोजनों से युवा पीढ़ी को धर्म, संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिलता है।
इस अवसर पर पार्षद हिमांशु गुप्ता, पंडित अधीर कौशिक, रोहित शर्मा, कुलदीप शर्मा, बृजमोहन शर्मा, राधे भैया, मनोज ठाकुर सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता, व्यापारी, संत-महात्मा और श्रद्धालु उपस्थित रहे। आयोजन में नगरवासियों ने भी बढ़-चढ़कर सहभागिता निभाई और शोभायात्रा को ऐतिहासिक रूप प्रदान किया।
मंदिरों में हनुमान चालीसा और अखंड पाठ पंडितों और भक्तों ने पढ़ा।