
हरि न्यूज
हरिद्वार।शनिवार को उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में तकनीकी प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन हुआ.।कार्यशाला का ऑनलाइन उद्घाटन प्रो. कमलेश पुरोहित एवं परियोजना प्रभारी डा. सुमन प्रसाद भट्ट ने संयुक्त रूप से किया .
बतौर मुख्य वक्ता प्रो. कमलेश पुरोहित ने कहा कि वर्तमान में ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा प्राप्ति का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. विश्वभर में ऑनलाइन शिक्षा पद्धति आज के तकनीकी युग में शिक्षा का एक प्रभावी ओर महत्वपूर्ण माध्यम बन गई है. इसमें विद्यार्थी इंटरनेट के माध्यम से किसी भी स्थान पर रहकर अध्ययन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पाठ्यक्रम, वीडियो लेक्चर और वेबिनार के माध्यम से ज्ञान अर्जन करना सरल और सुविधाजनक हो गया है. इस पद्धति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह समय और स्थान की बाधाओं को समाप्त करती है. कहा कि विशेषकर महामारी के समय ऑनलाइन शिक्षा ने शिक्षा प्रणाली को जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. तब से लेकर आजतक यह एक सशक्त माध्यम के रूप में स्थापित हो गयी है. कहा कि यह विधि प्रत्यक्ष संवाद और अनुशासन की कमी को पूरा नहीं कर सकती फिर भी ऑनलाइन शिक्षा भविष्य की दिशा को निर्धारित कर रही है. कहा कि संस्कृत के छात्र अनेक विषयों में ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करके अपने ज्ञान को बढ़ा सकते हैं.
परियोजना प्रभारी डा. सुमन प्रसाद भट्ट ने कहा कि संस्कृत भाषा और कंप्यूटर का संबंध अद्भुत और रोचक है. न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी संस्कृत और कंप्यूटर के सम्बन्ध पर गहन अनुसन्धान हो रहा है. कहा कि संस्कृत अपनी संरचित और व्याकरणिक स्पष्टता के कारण कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है. वैज्ञानिकों ने माना है कि संस्कृत भाषा की शुद्धता और स्पष्ट नियम होने से कंप्यूटर के साथ संवाद करना सरल हो सकता है. उन्होंने कहा कि मशीन लर्निंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और प्राकृतिक भाषा संसाधन (NLP) में संस्कृत का अध्ययन उपयोगी सिद्ध हो रहा है. कई शोधों में यह भाषा कम्प्यूटर एल्गोरिद्म के निर्माण हेतु आदर्श मानी गई है. अतः संस्कृत और कंप्यूटर का यह संबंध आधुनिक तकनीकी युग में नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है. यदि संस्कृत के छात्र व्याकरण के साथ साथ कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखते हैं तो वे भाषा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसन्धान कर सकते हैं.
परियोजना सह प्रभारी सुशील चमोली ने बताया कि इस तकनीकी प्रशिक्षण कार्यशाला में 50 प्रतिभागी प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे. यह परियोजना केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सहयोग से संचालित की जा रही है जिसमें संस्कृत के शिक्षकों तथा छात्र/छात्राओं को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जायेगा .
कार्यक्रम का सञ्चालन कार्यशाला संयोजक मीनाक्षी सिंह रावत ने किया .
इस अवसर पर डा.प्रकाश चन्द्र पन्त , डा. विन्दुमती द्विवेदी, गौरव कोठारी , आशीष सेमवाल, सागर खेमरिया, सीमा जगूड़ी, कंकना पराशर एवं शिक्षाशास्त्र विभाग के अन्य प्रतिभागी उपस्थित रहे.