
हरि न्यूज
देख समय की रफ्तार को दिल से मानाओ होली,
कोई वृक्ष कटे हरा- भरा न,
उपलों की जलाओ होली।
द्वारा-द्वारा मलरियों की,
सजाओ और जलाओ होली।
जल बिन जीवन व्यर्थ है,
जल में होली रंग न घोलो
पिचकारी को त्यागो बच्चों,
माथे सजाओ तिलक -रोली।
वसुंधरा तन जल से रीता ,
ताल- तलैयाँ नदियाँ सुखी।
रँग-बिरंगे गुलाल उड़ाओ,
होली लगे न फीकी-फीकी।
आओ चलो सब पेड़ बचाएँ,
मिलजुल कर मनायें सूखीहोली।
बड़ों के छुएँ चरण- कमल,
पाएँ अपार स्नेह मनायें होली।
पूजा- अर्चना करो तन -मन से ,
वतन की माँगो खुशहाली।
अंजली भर-भर उड़ाओ रोली,
राग मल्हार गाओ-मनाओ होली।
सीख “सलाम” की रखना याद तुम सब,
करो गुलाल आनन्द की वर्षा मनाओ होली।
रचनाकार
अब्दुल सलाम कुरेशी
सेवानिवृत्त प्र.अ.
गुना (म.प्र.)