वैदिक सनातन धर्म संस्कृति, विज्ञान, कला और साहित्य को समर्पित था ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद मृत्युंजय सरस्वती महाराज का समूचा जीवन : म.मं. चिदविलासानन्द सरस्वती

उत्तराखंड हरिद्वार


आनंद वन समाधि सिद्ध पीठ में धूमधाम से मनायी गयी ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद सरस्वती महाराज की पुण्यतिथि

हरि न्यूज/प्रमोद गिरि
हरिद्वार, 09 अप्रैल। तीर्थनगरी की प्रसिद्ध धर्मस्थली आनंद वन समाधि सिद्धपीठ पर श्री शाम्भव योग पीठ समिति द्वारा आनंद वन समाधि सिद्ध पीठ के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी रामानुज सरस्वती चिदविलासानंद सरस्वती महाराज के सानिध्य में संतो महंतो महामण्डलेश्वरों ने ब्रह्मलीन प्रेमानंद मृत्युंजय सरस्वती महाराज को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आनंद वन समाधि सिद्धपीठ के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी चिदविलासानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद मृत्युंजय सरस्वती महाराज का समूचा जीवन वैदिक सनातन धर्म संस्कृति, विज्ञान, कला और साहित्य को समर्पित था। ब्रह्मलीन स्वामी जी ने जीवन पर्यंत अनादि शाम्भव योग को पुनर्जीवित करना, प्राचीन भारतीय साहित्य विविध और आध्यात्मिक विज्ञान के क्षेत्र में कार्य कर सनातन संस्कृति को मजबूत करने का काम किया।
श्रद्धाजंलि सभा के अध्यक्षीय संबोधन में महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद मृत्युंजय सरस्वती महाराज ने देश और सनातन धर्म संस्कृति को मजबूत करने के लिए जीवन भर समाज हित में कार्य किये। उन्होंने जीवन के प्रति करुणा, प्रेम, सत्य शांति और श्रद्धा को बढ़ावा देने का काम किया।


महामंडलेश्वर ललितानंद गिरि महाराज ने कहा कि स्वामी प्रेमानंद मृत्युंजय महाराज त्याग, तपस्या व सेवा की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने जीवन भर संत समाज को उच्च स्तर पर ले जाने के अथक प्रयास किये। महामंडलेश्वर अनंतानंद महाराज ने श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद मृत्युंजय सरस्वती ने गुरु शिष्य परम्परा को समर्पित भाव से बढ़ाने का काम किया।


श्रद्धाजंलि सभा में आनंद वन समाधि सिद्धपीठ के शिष्य पूर्व राज्यसभा सांसद रविंद्र किशोर सिन्हा के स्वास्थ्य की कामना की गई। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, म.मं. स्वामी ललितानंद गिरि, म.मं. डॉ. प्रेमानंद, म.मं. आत्मानंद, म.मं. अनंतानंद, म.मं. राममुनि, म.मं कपिल मुनि, स्वामी हरिबल्लभ शास्त्री, रविदेव शास्त्री, हरिहरानंद, रामानंद, म.मं. आत्मबोधानंद, स्वामी प्रणवानंद, गोविंद दास, योगेंद्रानंद शास्त्री, ब्रह्मानंद, पूर्णानंद, रामानंद, गोपाल दास, विंध्यवासिनी दास, स्वामी विवेकानंद, स्वामी केशवानंद, ब्रह्मानंद, सुभाष त्यागी, रामप्रसाद उपाध्याय सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।

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