सनातन धर्म में गुरु और शिष्य की परंपरा महत्वपूर्ण:स्वामी उमा भारती

उत्तराखंड हरिद्वार

उमेश्वर धाम में श्रद्धालु भक्तों शिष्यों ने धूम धाम से मनाई गुरु पूर्णिमा

हरि न्यूज

हरिद्वार। उत्तरी हरिद्वार की प्रख्यात धार्मिक संस्था उमेश्वर धाम की परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी उमा भारती महाराज के सानिध्य में श्रद्धालु भक्तों शिष्यों ने गुरु पूर्णिमा पर्व धूमधाम हर्षोल्लास से मनाया। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी उमा भारती महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में गुरु और शिष्य की परंपरा आदिकाल से ही चली आ रही है। तभी तो संत करीबदास ने कहा है कि ” गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये”। कबीरदासजी का यह दोहा गुरु के प्रति सम्मान को व्यक्त करते हुए है। ‘गुरु बिन ज्ञान न होहि’ का सत्य भारतीय समाज का मूलमंत्र रहा है। उन्होंने कहा कि माता बालक की प्रथम गुरु होती है,क्योंकि बालक उसी से सर्वप्रथम सीखता है।भगवान् दत्तात्रेय ने अपने चौबीस गुरु बनाए थे। गुरु की महत्ता बनाए रखने के लिए ही भारत में गुरु पूर्णिमा को गुरु पूजन या व्यास पूजन किया जाता है। गुरु मंत्र प्राप्त करने के लिए भी इस दिन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।आप जिसे भी अपना गुरु बनाते हैं,आज के दिन विशेषरूप से उसके प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है।इस अवसर पर महंत शिवानंद भारती महाराज ने कहा कि गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरुदेव के प्रति आस्था समर्पण एकीकृत होकर गुरु श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए गुरुदेव की पूजा अर्चना करके अपने को उन्नति के पथ पर अग्रसर करता है हमें अपने गुरु महाराज की सच्ची लग्न आस्था समर्पण भाव से सेवा करनी चाहिए तथा गुरु देव महाराज के बताए मार्ग का अनुशरण करना चाहिए।इस अवसर पर दिल्ली,पंजाब,हरियाणा, राजस्थान उत्तराखंड उत्तर प्रदेश के श्रद्धालु भक्तों ने महामंडलेश्वर स्वामी उमा भारती महाराज एवं महंत शिवानंद महाराज का पूजन किया।

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