
हरि न्यूज
– डॉ. धर्माराम सहारण / सरदारशहर (चूरू) राजस्थान
राजस्थान।साहित्य अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। साहित्य की कोई भी विद्या चाहे वह कविता हो, गीत हो, गजल या कहानी हो समाज से उपजी विद्रूपता को मुखरित करती है। ‘धार्विक नमन’ के कविता संग्रह ”बिखरी पंखुड़ियां” में बदलते समय का प्रभाव भी है और समय के साथ न बदल पाई अडिग निजता भी है। “धार्विक नमन” एक लेखक, कवि एवं स्वतंत्र पत्रकार भी हैं। “बिखरी पंखुड़ियां” कविता संग्रह में एक संवेदनशील रचनाकार के मनोभावों की सशक्त अभिव्यक्ति हुई है। “धार्विक नमन” की नजर एक तरफ ना होकर चौफेर जाती है। उनके कविता के विषय विभिन्नता लिए हुए हैं। एक और जहां मानवीय रिश्तों के तानों-बानो से गुंथी हुई जीवन की सच्चाई है, वहीं दूसरी ओर प्रेम की सहज अभिव्यक्ति हुई है। “धार्विक नमन” की कविताओं में प्रकृति है, सत्ता के विरुद्ध लड़ने की आवाज है, प्रेम है, विरह है, पीड़ा है, दुख और इन सबसे अधिक एक जीवन के प्रति सकारात्मक उम्मीद है।
लेखन जब समाज से उपजी पीड़ाओं और चुनौतीयों को लिए हुए मुखरित होता है तो वह आमजन का लेखन बन जाता है। समाज की समस्याएं और चुनौतियां जब लेखन में झलकती हैं तो आम पाठक भी उससे जुड़ता जाता है।

लेखन की भाषा शैली सहज और सरल हो तो “सोने पर सुहागा” हो जाता है। आम पाठक को आसानी से समझ आने वाला साहित्य ही आम लोगों का साहित्य है। “धार्विक नमन” के लेखन में भाषागत क्लिष्टता नहीं है।
“नमन” की भाषा शैली बहुत सहज और सरल है। कहीं पर भी बनावटीपन नजर नहीं आता। सबसे अच्छी बात यह है कि जैसा देखा गया और जैसा महसूस किया गया, वही बातें उनके लेखन में स्पष्ट रूप से झलकती हैं। इसका एक कारण यह भी है कि लेखक/ कवि स्वयं इन परिस्थितियों और चुनौतियों से निकले हुए हैं। अपने आसपास होने वाली इन समस्याओं और पीड़ाओं को बहुत करीब से देखा है। खेत-खलिहान और किसान की बात करने वाला व्यक्ति ही उनकी पीड़ा को समझ सकता है यह लेखक / कवि ने सिद्ध किया है।
भारतीय संस्कृति में अनेक परंपराएं विरासत में मिली हैं किंतु बदलते परिवेश में अनेक परंपराएं समाप्त होती नजर आ रही हैं। समाज के इस बदलाव की तरफ़ भी कवि का ध्यान गया है। अपने लेखन में बदलाव को समाज के सामने रखा है। शायद समाज इन बातों पर थोड़ा मनन करेगा। हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोये रखना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है !!
“धार्विक नमन” ने आज के समाज के एक ज्वलंत मुद्दे पर बात रखी है। आज चारों ओर अविश्वास की खाई बढ़ती जा रही है। रिश्तों के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं । रिश्तों और लोगों के दिलों मे दूरियां पैदा हो रही हैं और इन सब के पीछे कहीं ना कहीं सुनी-सुनाई बातों को इधर-उधर करना रही है। यह सच है कि व्यक्ति अपनी वाणी से ही पहचाना जाता है वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती हैं। हमें अच्छा बोलना चाहिए, संयमित बोलना चाहिए और प्रेम पूर्वक बोलना चाहिए। यह मनुष्य के व्यवहार को दिखाती हैं।
*”धार्विक नमन का रचना संसार बहुत विस्तृत है। गजल, कविता, गद्य लेखन में भी वे सिद्धहस्त हैं। *”धार्विक नमन”* का लेखन आम व्यक्ति के जुबान पर सहजता से चढ़ जाता है। पाठक स्वयं को उनकी कविताओं से जोड़ लेता है। यह उनके लेखन की ताकत है।
“बिखरी पंखुड़ियां” धार्विक नमन का एक बेहतरीन और पठनीय कविता संग्रह है। पुस्तक के लिए “धार्विक नमन जी” को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें।