
ज्योतिषाचार्य पंडित राज शर्मा
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई अशुभ ग्रह किसी शुभ ग्रह के साथ संयोजन करता है तो ऐसी स्थिति में कुंडली दोष का निर्माण होता है.
इन दोषों की वजह से व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की समस्याएं आ सकती हैं. ये दोष आर्थिक स्थिति, करियर, रिश्तों में दिक्कतें, बीमारियों के अलावा समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की हानि जैसे कई स्थायी प्रभाव डालते हैं.
इनमें से मुख्य पांच दोष अधिक कष्टदायक होते है
कालसर्प दोष:
कुंडली में #सभी ग्रह राहु केतु की धुरी के भीतर होते हैं तो भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष उत्पन्न होता है. इस दोष की वजह से जीवन में #संघर्ष रहता है. बार-बार बनते-बनते काम बिगड़ जाते हैं.
मंगल दोष:
जब कुंडली में #प्रथम, #चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है, तब मांगलिक दोष लगता है. इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है. एक सफल सुखद #वैवाहिक जीवन के लिए बेहद आवश्यक है कि दोनों ही जीवन साथी की कुंडली में मंगल दोष ना हो. यदि किसी एक की कुंडली में मंगल दोष है, तो विवाह के बाद रिश्ते में #प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देने लगते हैं.
केन्द्राधिपति दोष :
जब भी किसी शुभ ग्रह की राशि केंद्र में होती है तो उसको #केन्द्राधिपति दोष लग जाता है. शुभ ग्रह यानि बृहस्पति, बुध, शुक्र, और चंद्रमा. इनमें से बृहस्पति और बुध के कारण होने वाला यह दोष और भी गंभीर और प्रभावी माना जाता है. पहला, चौथा, सातवां और दसवां केंद्र भाव होता है.
इसके बाद #शुक्र और चंद्रमा का दोष आता है. उपरोक्त दोष केवल शुभ ग्रहों अर्थात #बृहस्पति ग्रह, बुध ग्रह, चंद्रमा ग्रह और शुक्र ग्रह पर लागू होता है. यह शनि, मंगल, और सूर्य जैसे ग्रहों पर लागू नहीं होता है. इस दोष की वजह से व्यक्ति को #करियर से संबंधित परेशानियां जैसे नौकरी जाना, व्यापार में दिक्कतें, पढ़ाई से संबंधित परेशानी, #शिक्षा की हानि आदि परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं.
पितृ दोष :
जिस किसी व्यक्ति के पितृ प्रसन्न नहीं होते हैं, उनकी कुंडली में इस दोष का निर्माण होता है. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में #राहु के साथ #सूर्य का संयोजन हो या केतु के साथ सूर्य ग्रह का संयोजन हो तो ऐसी स्थिति में भी पितृ दोष बनता है. इस दोष की वजह से जीवन में विकास रुक जाता है. ऐसे व्यक्तियों की या तो नौकरी लगती नहीं है या लगती है तो बहुत ही कम वेतन वाली. ऐसे व्यक्तियों की धन हानि होने लगती है.
गुरु राहु चांडाल दोष :
सबसे बड़े नकारात्मक दोषों में से एक दोष ‘गुरु-चांडाल’ दोष है. अगर कुंडली में #राहु बृहस्पति एक साथ हों तो यह दोष बन जाता है. कुंडली में कहीं भी यह दोष बनता हो हमेशा नुकसान ही करता है. अगर यह लग्न, पंचम या नवम भाव में हो तो विशेष नकारात्मक होता है. गुरु-चांडाल दोष का अगर समय पर उपाय न किया जाए तो कुंडली के #तमाम शुभ योग भंग हो जाते हैं. अक्सर यह दोष होने से व्यक्ति का #चरित्र कमजोर होता है. इस योग के होने से व्यक्ति को पाचन तंत्र, लिवर की समस्या और गंभीर रोग होने की सम्भावना बनती है. ऐसे व्यक्ति फिजूलखर्ची में या इधर-उधर धन खर्च कर देते हैं और अपने भविष्य के बारे में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं.