
*साधक की सबसे बड़ी पूंजी उसका चरित्र:श्री करौली शंकर महादेव
*आज सम्पन्न होगा श्री करौली शंकर महादेव धाम में त्रिदिवसीय महा सम्मेलन एवं दीक्षा कार्यक्रम
हरि न्यूज/प्रमोद गिरि
हरिद्वार।देवभूमि उत्तराखंड की पतित पावनी मां गंगा की धरा के तट पर स्थित उत्तरी हरिद्वार के श्री करौली शंकर महादेव धाम में त्रिदिवसीय महा सम्मेलन एवं दीक्षा कार्यक्रम के दूसरे दिन तंत्र दीक्षा कार्यक्रम में देश विदेश के सैकड़ों श्रद्धालु भक्तों ने प्रतिभाग स्वामी श्री करौली शंकर महादेव महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया।कार्यक्रम में जहां भक्तों में दीक्षा ग्रहण करने को लेकर खासा उत्साह दिखाई दे रहा था।वहीं सुबह बाबा माँ की आरती के बाद तन्त्र दीक्षा की चयन प्रक्रिया में भक्त शामिल होने लगे,

तंत्र दीक्षा, चयन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए भक्तों का जमावड़ा देखने को ही बनता था ,दीक्षा प्राप्त कर सभी भक्त बहुत उत्साहित दिखाई दे रहे थे जैसे मानो एक अलग ही दुनिया में प्रवेश कर चुके हों।
दीक्षा कार्यक्रम के दौरान दिनभर दिव्य भंडारा प्रसाद वितरण किया गया,

संध्या पहर में करौली शंकर गुरुजी द्वारा भक्तों को संबोधित किया गया, जिसमें गुरुदेव ने ध्यान साधना क्यों जरूरी है , कैसे ध्यान साधना से हम सभी पीड़ा मुक्त हो जाते हैं ? व्याख्यान किया ।
इस महासम्मेलन के मुख्य अतिथि , अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी जी महाराज भी सम्मेलन भी पधारे।


दरबार के सेवकों और साधु संतों के द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया, उन्होंने बाबा मां की आरती में भाग लिया और मंच से तंत्र के साधकों को संबोधित किया।उन्होंने साधको को संबोधित करते हुए कहा की तंत्र की साधना केवल संयम के माध्यम से ही की जा सकती है । संयम ही एक ऐसा माध्यम है जो हमें ज्ञान को उपलब्ध कराता है इसलिए हमें दृष्टा भाव से अपने जीवन में हर उतार-चढ़ाव देखना चाहिए । उन्होंने कहा कि साधक की सबसे बड़ी पूंजी उसका चरित्र है , बिना चरित्र निर्माण के, बिना संयम के , ज्ञान को उपलब्ध हो पाना संभव नहीं है । इसलिए तंत्र की साधना में प्रत्येक क्षण परीक्षा है और इस परीक्षा में पास होने के लिए व्यवस्था को समझना आवश्यक है । व्यवस्था को समझ कर , फिर व्यवस्था में जीना अपने आप हो जाता है जिसे आचरण कहते हैं और यह आचरण ही सब में आगे की परंपरा में फैलता है ।

अब वो समय आ ही गया था जिसकी सभी भक्तों को बेसब्री से प्रतीक्षा थी । रात्रि 10 बजे से गुरुदेव ने मंत्र दीक्षित और तंत्र दीक्षित भक्तों को ध्यान साधना करने का अभ्यास कराते हुए प्रभु से जुड़ाव की अनुभूति कराई।

ध्यान साधना के समय ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि आज देव भूमि हरिद्वार में दिव्य अलौकिक शक्तियाँ भ्रमण कर रही हैं और भक्तों के रोग और कष्टों को दूर कर रही है । सभी भक्तों ने अंत में भगवान भोलेनाथ और माता के भजन करते हुए जय जयकार लगाते हुए हर्षोल्लास के साथ आनंद मनाया। देर रात्रि आज द्वितीय दिवस के महा सम्मेलन का समापन हुआ।आज तीसरे और महासम्मेलन के अंतिम दिवस पर प्रातः 10:00 बजे से पुनः ध्यान साधना की विधियां भक्तों और शिष्यों को सिखाई जाएंगी । आज देर शाम को तीसरे दिवस महासम्मेलन का समापन होगा ।