
भगवानदास शर्मा “प्रशांत”
हरि न्यूज
इकतीस अक्टूबर पुण्य तिथि,
अठरह सौ पचत्तर नाडियाड।
गुजरात की धरती जन्म लिया,
कुल लेउआ पटेल पाटीदार।।
थे बचपन से ही मेधावी,
कृषि कार्यों में हाथ बताते थे।
रग रग में उनके स्वाभिमान,
देशहित पर वह अड़ जाते थे।।
लंदन से वकालत पास करें, अहमदाबाद वकालत थी छाई।
स्वतंत्रता हेतु बिगुल बजा जब,
देश हित में बैरिस्टरी ठुकराई।।
आजादी आंदोलन में कूद पड़े,
क्रांतिकारी देश के मतवाले थे,
नेहरू सुभाष सी थी प्रतिभा,
वह लौह पुरुष रखवाले थे।।
दिखने में जितने थे कठोर,
उतना ही नम्र हृदय जिनका।
की अगुवाई बारदौली सत्याग्रह,
था “सरदार” नाम पड़ा उनका।।
लिए अखंड देश का सपना,
लौह पुरुष निडर हो खड़े रहे।
कर्मठता और नेतृत्व के बल पर,
देश एकीकरण को अड़े रहे।।
उथल पुथल थी देश बहुत,
अंग्रेजी शातिर चाले थी।
था देश विभाजन की कगार,
कई आफत डेरा डाले थी।।
रोकी बेटन, जिन्ना की चाले,
देशी रियासतों का विलय किया।
कर कश्मीर, हैदराबाद का विलय,
भारत को टूटने से बचा लिया।।
पीएम उम्मीदवारी ठुकरा दी,
एकता और त्याग की मूर्ति बने।
आजाद भारत के गृहमंत्री बन,
सच्चे सेवक की प्रति मूर्ति बने।।
