
शैलपुत्री माँ दुर्गा का पहला स्वरूप है, जो धैर्य, शांति और संयम का प्रतीक हैं:श्री महंत रविंद्र पुरी
हरि न्यूज
हरिद्वार, 22 सितंबर।पावन नगरी हरिद्वार में शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन भक्ति और श्रद्धा का वातावरण देखने को मिला। प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री मनसा देवी मंदिर में विधिवत कलश स्थापना और माँ शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के साथ नवरात्र का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने विशेष अनुष्ठान की जानकारी देते हुए बताया कि माँ मनसा देवी के आशीर्वाद से प्रदेश और देश की खुशहाली, शांति और समृद्धि के लिए नौ दिवसीय विशेष पूजन अनुष्ठान प्रारंभ किया गया है।
श्रीमहंत जी ने कहा नवरात्र केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह आत्मशक्ति, साधना और सकारात्मक ऊर्जा का पर्व है। इन दिनों में की गई पूजा और तपस्या का प्रभाव न केवल व्यक्ति पर, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र पर पड़ता है। इसी उद्देश्य से मनसा देवी मंदिर में विशेष अनुष्ठान शुरू हुआ है, जिससे देश में सुख-शांति और प्रदेश में समृद्धि बनी रहे।”
उन्होंने प्रथम नवरात्र पर माँ शैलपुत्री का महत्व बताते हुए कहा कि वे हिमालयराज की पुत्री हैं और पर्वतराज की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। यह माँ दुर्गा का पहला स्वरूप है, जो धैर्य, शांति और संयम का प्रतीक हैं। माँ शैलपुत्री की उपासना से साधक को मानसिक स्थिरता, आत्मबल और कठिन परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है।
मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने माँ के दर्शन कर विशेष पूजन किया और प्रातः से ही मंदिर में दुर्गा सप्तशती का पाठ, हवन और मंत्रोच्चार गूंजते रहे। पूरा वातावरण भक्तिमय रहा।
मंदिर ट्रस्ट द्वारा दर्शन की विशेष व्यवस्थाएं, सफाई, चिकित्सा सुविधा और भंडारे की व्यवस्था की गई है। श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने लोगों से अपील की कि वे इन नौ दिनों में संयमित आहार, सद्व्यवहार और सेवा के माध्यम से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।