
रचनाकार:अब्दुल सलाम कुरैशी
जिला -गुना (म. प्र.)

भारतेंदु -सा बने तपस्वी,
हिंदी का जयगान करें।
फैले कीर्ति पताका-जग में,
हिंदी हमारी आन -बान -शान है।
भेदभाव सब भूलें हम,
हिंदी पर अभिमान करें।
हिंदी पहने, हिंदी ओढ़ें,
हिंदी में स्नान करें ।
भारत माँ के भाल की बिंदी,
बने मेरी प्यारी- न्यारी हिंदी।
आओ मिलकर करें प्रण हम सब आज,
हिंदी बोलें, हिंदी लिखें,
हिंदी में करें सब काज।
हिंदी में ही करें हस्ताक्षर,
शर्म न करो मेरे यार।
भारत की जीवन -रेखा है,
एक मात्र हमारी प्यारी हिंदी।
बहती है देश में गंग-ओ- जमुनी धारा बनकर हिंदी।
आओ करें सब मिलकर उपासना,
जन-गण- मन गाकर हिंदी।