
हरि न्यूज
हरिद्वार।भारतमाता जनहित सेवा ट्रस्ट, “राघव कुटीर”,हरिपुर कलां, हरिद्वार में श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ अनन्त श्रीविभूषित जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामण्डलेश्वर पूज्यपाद स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज के पावन सानिध्य एवं अध्यक्षता में अध्यात्म जगत की शिखरस्थ सत्पुरुष, सन्त समुदाय के परम आदर्श,भाष्यकार भगवान भगवद्पादाचार्य आद्य शंकराचार्य की परम्परा के परम प्रकाशक,सनातन संस्कृति के उन्नायक, करुणामूर्ति ब्रह्मनिष्ठ अनन्त श्रीविभूषित निवृत-जगद्गुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन पूज्यपाद परम गुरुदेव भगवान महामण्डलेश्वर पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि महाराज का दो दिवसीय षष्ठम पुण्य स्मृति दिवस – “समाधि दिवस”भावभीनी श्रद्धांजलि के साथ मनाया गया।

इस अवसर पर आयोजित समारोह 19 जून 2025 में “राघव कुटीर” स्थित पूज्य परम गुरुदेव की पादुकाओं का पूजन, श्री रामचरितमानस का अखण्ड पाठ, सन्त-सम्मेलन तथा राष्ट्र आराधन के अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गये।इस अवसर पर वृहद सन्त-भंडारे का आयोजन किया गया।

ब्रह्मलीन प्रातःस्मरणीय परमगुरुदेव जी का स्मरण करते हुए “पूज्य प्रभुश्री जी” ने कहा कि “संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम् ..।” भारतवर्ष का सनातन वैदिक संस्कृति हमेशा समन्वय की बात करता है। जो “आत्मनः प्रतिकूलानि परेषाम् न समाचरेत …”। “आत्मवत् सर्वभूतेषु .. की बात करता है। पूरा विश्व अब सनातन संस्कृति की बात करता है। इसी सनातन संस्कृति को विस्तृत करने के उद्देश्य से पूज्य गुरुदेव जी ने विदेशों की अनेक यात्राएँ की।

राष्ट्र के उत्कर्ष हेतु विभिन्न विचार धाराओं में पारस्परिक समन्वय, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता के प्रसार हेतु पूज्य गुरुदेव ने विश्वप्रसिद्ध “भारत माता मन्दिर” की स्थापना की। राष्ट्र का सर्वविध अभ्युदय और सामाजिक एकजुटता ही भारत माता मन्दिर की संस्थापना का मूल ध्येय था। भगवान भाष्यकार भगवद्पादाचार्य आद्य शंकराचार्य के सन्देश को सम्पूर्ण विश्व में प्रसारित करने वाले ब्रह्मलीन परम गुरूदेव जी ने विश्व के अनेक देशों में परिभ्रमण कर सनातन मूल्यों का प्रचार-प्रसार कर आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों का संरक्षण संपोषण किया।

उन्होंने “उदार चरितानाम् तु वसुधैव कुटुम्बकम् ..” जैसी दिव्य जीवन मूल्यों को अपने आचरण से उपदेशित किया है, आज भले ही उनकी दिव्य देह न हो, पर वह गुरुसत्ता नित्य चैतन्य है तथा हरपल हमारे साथ है।

“पूज्य प्रभुश्री जी” ने कहा कि सत्पुरुष ही तीर्थ का निर्माण करते हैं, तीर्थ तारण करते हैं और तारण का अर्थ जगत से उद्धार से है। जगत के दु:खों से अलग जाने के लिए जहाँ से सामर्थ्य मिलती है, मान-अपमान, सुख-दु:ख, जय-पराजय आदि। इस जगत के विकारों का मूल अविद्या ही है। यदि विवेक न हो, विचार न हो तो व्यक्ति राग-द्वेष में ही रहता है। हमें भय इसलिए लगता है। हमारे अज्ञान और इसी अज्ञान के द्वारा निर्मित हमारी मान्यताएँ ही हमारे दु:ख का कारण हैं। हमारे दु:खों के अनेक कारणों में से अज्ञान प्रमुख कारण है। अज्ञान को चुनौती देने वाली करुणा से भरी दिव्य सत्ता का नाम है – गुरु।
“पूज्य प्रभुश्री जी” ने कहा कि भूमि अर्थात् “अपनी जड़ से जुड़े रहना”, अपने मूल से जुड़े रहना। भेष यानी “अपनी पर्व-परम्पराओं से जुड़े रहना”।
“तस्मात् सर्वेषु कालेषु” अर्थात् हर पल ईश्वरीय स्मृति में रहकर “भज सेवायाम..” यानी भजन सेवा करना। योगवशिष्ठ, भगवद गीता और उपनिषद जैसे यथार्थ ग्रन्थों से जुड़े रहें। जो ग्रन्थियाँ खोल दे, वे ग्रन्थ है ! उस वस्तु को अवश्य जानें जो अविनाशी है, जिससे यह सम्पूर्ण जगत् व्याप्त है। इस अव्यय का नाश करने में कोई भी समर्थ नहीं। अतः अपने अविनाशी तत्व को जानें।

इस अवसर पर जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामण्डलेश्वर पूज्यपाद स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज के पावन सानिध्य एवं अध्यक्षता में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित हुआ। जिसमें अनेक गणमान्य विभूतियाँ उपस्थित रहीं, जिनमें प्रमुख रूप से -आज के मुख्य अतिथि निर्वाणपीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर अनन्त श्रीविभूषित परमपूज्य स्वामी विशोकानन्द भारती महाराज। विशिष्ट अतिथि जगदगुरू आश्रम कनखल के अधिष्ठाता जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज,पूज्यपाद जगद्गुरु शंकराचार्य भानुपीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानन्द महाराज,अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पूज्य श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज,

महामण्डलेश्वर संतोषी माता,विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय परम संरक्षक दिनेश जी,पूर्व-केन्द्रीय शिक्षा मंत्री एवं उत्तराखण्ड के पूर्व-मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, उत्तराखण्ड सरकार के राज्यमंत्री ओमप्रकाश जमदग्नि,रामकृष्ण मिशन हॉस्पिटल के प्रमुख स्वामी दयामूर्त्यानन्द महाराज, हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के प्रमुख विजय धस्माना,जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी देवानन्द महाराज,महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी यतीन्द्रानन्द महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानन्द महाराज,
महामण्डलेश्वर स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज, स्वामी परमात्म देव महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानन्द गिरि महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानन्द गिरि, पूज्य स्वामी नवल किशोर महाराज, उदासीन बड़ा अखाड़ा के पूज्य स्वामी राघवेंद्र दास महाराज,महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी अनन्तानन्द जी महाराज, स्वामी बलरामदास हठयोगी महाराज, पूज्य स्वामी विश्वेश्वरानन्द महाराज, पूज्य स्वामी शिवात्मानन्द महाराज, पूज्य स्वामी ऋषि ज्ञानानंद जी महाराज, पूज्या साध्वी प्रज्ञा भारती जी, गीता मनीषी महामण्डलेश्वर डॉ. राधा गिरि, पूज्य स्वामी दुर्गादास महाराज, डॉ.विष्णु दत्त राकेश,समन्वय सेवा ट्रस्ट एवं भारत माता जनहित ट्रस्ट के ट्रस्टीगण महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी अखिलेश्वरानन्द महाराज, आई डी शर्मा,कैलाश गुप्ता, मुकेश शुक्ला, महेन्द्र लहरिया, मनोज शुक्ला, बृजेंद्र वाजपेई, भूपेन्द्र कौशिक, सुरेश मौड़, हरिहर आश्रम कनखल के प्रबन्धक पूज्य स्वामी कैलाशानन्द गिरि, पूज्य स्वामी सोमदेव गिरि , पूज्य स्वामी नित्यानन्द गिरि , पूज्य स्वामी ज्ञानानन्द गिरि ,भारत माता मन्दिर के प्रबन्धक गण,उदय नारायण पाण्डेय, हरिहर जोशी, विनोद सहित समस्त अधिकारी गण, आश्रम के आचार्य एवं बटुक ब्राह्मण गण, आश्रम के अन्तःवासी तथा देश-विदेश से पधारे बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तों की उपस्थिति रही।कार्यक्रम का मंच संचालन पूज्यपाद महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज ने किया।