
महिलाओं को दिया संपत्ति का अधिकार- डॉ. ज्योति शर्मा
हरि न्यूज
ऋषिकेश।ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट, पूर्णानंद घाट में विश्व प्रसिद्ध प्रथम महिला गंगा आरती में महिलाओं द्वारा आज लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म शताब्दी के अवसर पर छायाचित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित किया। अहिल्याबाई होल्कर नारी शक्ति की प्रतीक थीं, जिन्होंने शासन, धर्म, समाज सेवा और जनकल्याण के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य किए। अहिल्याबाई होल्कर की जन्म शताब्दी के अवसर पर विशेष गंगा आरती। अहिल्याबाई होल्कर जी एक ऐसी युगप्रवर्तक महिला थीं,जिन्होंने अपने शासनकाल में न केवल धर्म,संस्कृति और सामाजिक मूल्यों की रक्षा की, बल्कि प्रशासनिक दक्षता, न्यायप्रियता और लोककल्याणकारी शासन का एक आदर्श प्रस्तुत किया।
ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिओम शर्मा ज्ञानी जी ने कहा रानी अहिल्याबाई ने अपने दृढ़ संकल्प और धार्मिक आस्था के बल पर प्रशासनिक कार्यों को सफलता से संचालित किया और समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सभी पार्षद एवं प्रतिनिधियों से अपील की कि वे रानी अहिल्याबाई से प्रेरणा लेकर अपने क्षेत्र के विकास में योगदान दें और कहा कि उन्होंने पूरे भारत राष्ट्र में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अभियान चलाया। देश का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां उन्होने मंदिर, प्रवचन कक्ष, अन्नक्षेत्र, विद्यालय या व्यायाम शाला की स्थापना न की हो। सुदूर बद्रीनाथ, हरिद्वार, केदारनाथ में धर्मशालाओं और अन्नक्षेत्र का निर्माण कराया।
भाजपा की महिला मोर्चा जिला टिहरी अध्यक्ष इंदिरा आर्य ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का यह प्रयास, इस स्मृति अभियान के माध्यम से, भारत की उस संस्कृति को पुनः जागृत करना है, जो त्याग, तपस्या, सेवा और न्याय के मूल्यों पर आधारित है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपने इतिहास को जानें, और उन नायकों की प्रेरणा से अपने वर्तमान और भविष्य को सशक्त बनाएं।
डॉ. ज्योति शर्मा ने कहा अहिल्याबाई स्वयं एक भावना प्रधान महिला थीं। महिलाओं के सम्मान और अधिकार के प्रति वे अधिक संवेदनशील थीं। वे कभी भी पुरुषों की उपस्थिति में महिलाओं की व्यथा नहीं सुनती थीं। उन दिनों एक नियम था। यदि किसी पुरुष का निधन हो जाए और उसकी कोई संतान न हो तो उसकी सारी संपत्ति राजकोष में चली जाती थी। यदि पुत्र का निधन हो गया और कोई पुरुष उत्तराधिकारी न हो तो इस संपत्ति पर भी महिला का कोई अधिकार नहीं होता था। अहिल्याबाई ने यह नियम बदला तथा पति या पुत्र के निधन पर मां अथवा पत्नी का अधिकार सुनिश्चित किया।
मुख्य रूप से गंगा आरती में आशा डंग, बंदना नेगी, गायत्री देवी, पूनम रावत प्रमिला, अंजना उनियालआदि ने गंगा आरती की।