
हरि न्यूज
दिल्ली/हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने सनातन धर्म संस्कृति को समर्पित बागेश्वर धाम के परमाध्यक्ष महंत धीरेन्द्र शास्त्री महाराज द्वारा आयोजित धार्मिक पद यात्रा में शामिल होकर सनातन धर्म संस्कृति को संरक्षित संवर्धित करने में अपनी अहम भागीदारी निभाकर कहा कि आज हम सब यहाँ एक ऐसे पावन अवसर पर एकत्र हुए हैं, जहाँ भक्ति, सेवा और संकल्प—तीनों का अद्भुत संगम दिखाई देता है। यह अवसर है पूजनीय धीरेन्द्र शास्त्री जी की पदयात्रा का, जो केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, अपितु समाज को जागृत करने वाला एक आध्यात्मिक अभियान है।
श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि धीरेन्द्र शास्त्री जी की यह पदयात्रा हमें यह संदेश देती है कि धर्म केवल मंदिरों में नहीं, बल्कि मार्गों पर भी चलता है,साधना केवल आसन पर नहीं, बल्कि कदम ताल से भी होती है।
अखाड़ा परिषद सदैव ऐसे संतों का सम्मान करता है जो समाज में प्रकाश फैलाने का कार्य करते हैं। धीरेन्द्र शास्त्री जी ने अपने तप, अपने ज्ञान और अपनी विनम्रता से यह सिद्ध किया है कि सच्चा संत वही है, जो समाज के बीच जाकर समाज की पीड़ा को समझे।उन्होंने कहा कि उनकी पदयात्रा का उद्देश्य केवल स्थान-स्थान पर जाना नहीं है बल्कि हर मनुष्य के हृदय तक पहुँचना,युवा पीढ़ी में संस्कारों का संचार करना,और समाज को धर्म, सत्य और सदाचार की राह दिखाना है।उन्होंने कहा कि आज जब संसार भौतिकता की ओर भाग रहा है, तब ऐसे संतों का आगे आना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि यदि संत ही आगे बढ़कर समाज की बुराइयों का विरोध नहीं करेंगे,
तो फिर कौन करेगा?
पदयात्रा हमें अनुशासन सिखाती है, धैर्य सिखाती है, और यह बताती है कि छोटे-छोटे कदम भी बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। धीरेन्द्र शास्त्री जी के हर कदम में लोककल्याण की भावना निहित है।
श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि अखाड़ा परिषद की ओर से हम उन्हें साधुवाद देते हैं, उनके इस पवित्र अभियान को आशीर्वाद देते हैं, और प्रार्थना करते हैं कि—
भगवान उन्हें शक्ति दें, स्वास्थ्य दें,
और समाज सेवा का यह दिव्य कार्य
यूँ ही निरंतर आगे बढ़ता रहे।अंत में, मैं सभी भक्तों से निवेदन करता हु।संतों के कदमों से जुड़ें, उनके संदेशों को जीवन में अपनाएँ,क्योंकि यही मार्ग हमें धर्म, शांति और समृद्धि की ओर ले जाता है।इस मौके पर आचार्य बालकानंद गिरि,महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज उपस्थित रहे।
