श्रवण सेवा एवं शोध संस्थान के तत्वावधान में आयोजित हुआ अंतर्राज्यीय साहित्यिक कार्यक्रम

उत्तराखंड हरिद्वार

हरि न्यूज

हरिद्वार।श्रवण सेवा एवं शोध संस्थान के तत्वावधान में डॉ० मेनका त्रिपाठी के संयोजन में हिन्दी सेवा समूह ने एक अंतर्राज्यीय साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षा : डॉ० पुष्पा रानी वर्मा (पूर्व उप निदेशक : शिक्षा), मुख्य अतिथि : श्रीमती रमा त्यागी (वरिष्ठ साहित्यकार (गाजियाबाद), विशिष्ट अतिथि प्रो० बापू राव देसाई(महाराष्ट्र), प्रो० जयंत कर शर्मा (उड़ीसा ),प्रो० विष्णु सरवदे (आंध्र प्रदेश) और श्रीमती मधु खन्ना (देहली, वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया )थीं। कार्यक्रम का संचालन डॉ० अशोक गिरि (समूह संचालक) ने किया। कार्यक्रम के अंतर्गत डॉ० मेनका त्रिपाठी की पुस्तक , ‘ तितली के पंखों पर ‘ (यात्रा संस्मरण) का लोकार्पण, कविता – पाठ तथा विचार – गोष्ठी ( विषय : हिन्दी की वैश्विक स्थिति और हम) का आयोजन किया गया।


कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। अपराजिता ने अपने मधुर कण्ठ से सरस्वती वन्दना का पाठ किया। कार्यक्रम संयोजिका
डॉ० मेनका त्रिपाठी ने बाहर से आए अतिथियों के परिचय के साथ- साथ सभी का स्वागत किया। अपराजिता,वृन्दा ‘वाणी’ , डॉ० सुशील त्यागी, दीनदयाल दीक्षित , डॉ० विजय त्यागी, डॉ० मेनका त्रिपाठी,रमा त्यागी, मधु खन्ना और डॉ० पुष्पा रानी वर्मा इत्यादि ने कविता पाठ किया।


विचार -गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए डॉ० एन० पी० सिंह ने कहा, कि प्रयोजनमूलक हिन्दी के प्रचार प्रसार की आवश्यकता है।प्रो० जयंत ने कहा, कि विदेशों में हिन्दी की स्थिति हमारे लिए प्रेरणाप्रद है। प्रो० विष्णु ने मातृ भाषा के महत्व को बताते हुए, हिन्दी की स्थिति को सुदृढ़ करने की बात कही। प्रो० बापू राव ने मुक्त कण्ठ से समूह के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा,कि हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा कब होगी? मुझे पता नहीं! परन्तु हिन्दी विश्व भाषा बनने की दिशा में अग्रसर है। मधु खन्ना ने केन्द्र सरकार द्वारा हिन्दी के वैश्विक प्रयासों की भूरी -भूरी प्रशंसा की। रमा त्यागी ने हिन्दी को विदेशों में भारतीयों  की सम्पर्क भाषा बताया। डॉ० अशोक गिरि ने केवल भारत में ही नहीं , अपितु पूरे विश्व में हिन्दी की गद्य विधाओं के लेखन पर जोर दिया। हिन्दी हमारी केवल मातृ भाषा , राज्य भाषा,राजभाषा एवं सम्पर्क भाषा ही नहीं, अपितु यह हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। डॉ० पुष्पा रानी वर्मा ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में सभी की रचनाओं की समीक्षा की तथा हिन्दी के प्रचार -प्रसार के लिए हिन्दी सेवा समूह की भूमिका की सराहना की।कार्यक्रम में डॉ० नरेश मोहन, दीपक पंवार,मनुज त्रिपाठी,उमा त्यागी, प्रमोद वर्मा , प्रीति,आराध्य और प्रभव इत्यादि ने भी अपने विचार रखे।

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