
महान् विचारक,राष्ट्रनायक एवं समाज सुधारक थे ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज-श्रीमहंत रविंद्र पुरी

गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं-स्वामी अवधेशानंद गिरि

हरि न्यूज
हरिद्वार, 19 सितम्बर।भारत माता मंदिर के संस्थापक एवं परम आराधक निवृत्त शंकराचार्य पद्मभूषण ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज का जन्म जयंती उत्सव कार्यक्रम जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। ब्रह्मलीन शंकराचार्य पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज की जन्म जयंती उत्सव कार्यक्रम सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने समारोह पूर्वक धूमधाम हर्षोल्लास मनाया । इस दौरान संत समाज ने सरकार से स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि की जन्म जयंती स्वामी विवेकानंद जयंती की तर्ज पर मनाने की मांग की। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज की अध्यक्षता में भारत माता मंदिर में आयोजित जन्म जयंती उत्सव को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि महान् विचारक, राष्ट्रनायक एवं समाज सुधारक ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि का भारत के संतों, मनीषियों में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आदिवासी समुदाय के लिए किए गए उनके कार्यो, आदर्शाे और जीवन दर्शन से प्रेरणा लेते हुए सभी को मानव कल्याण में योगदान का संकल्प लेना चाहिए। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि गुरू से बढ़कर संसार में कुछ नहीं है। गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं। समाज के वंचित तबके का कल्याण और देश का उत्थान ही ब्रह्मलीन गुरूदेव स्वामी सत्यमित्रांनद गिरि महाराज के जीवन का उद्देश्य था। हरिद्वार में भारत माता मंदिर की स्थापना कर उन्होंने देश की गौरवशाली संस्कृति के संरक्षण में अहम योगदान दिया। सोनीपत सांसद सतपाल ब्रह्मचारी व महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने कहा कि धर्म, अध्यात्म और देश सेवा में ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज का योगदान सदैव सभी को प्रेरणा देता रहेगा।

भारत माता मंदिर के महंत महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि ने कहा कि त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति ब्रह्मलीन गुरूदेव स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज द्वारा आदिवासी समुदाय को समाज की मुख्यधारा में लाने और उनके उत्थान के लिए किए गए कार्यो को देखते हुए सरकार को स्वामी विवेकानंद जयंती की तर्ज पर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि की जयंती भी मनानी चाहिए। स्वामी देवानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि, महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश ,स्वामी हरिवल्लभदास शास्त्री, स्वामी रविदेव शास्त्री ने भी ब्रह्मलीन सत्यमित्रांनंद गिरि महाराज को नमन किया। कार्यक्रम का संचालन स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि महाराज ने किया। आईडी शास्त्री ने सभी संत महापुरूषों और अतिथीयों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर महंत दुर्गादास महंत, विष्णुदास,महंत राघवेंद्र दास, बाबा हठयोगी, रविदेव शास्त्री,स्वामी हरिहरानंद, महंत सूर्यांश मुनि, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, आचार्य चंद्रभूषण, स्वामी दिनेश दास, महंत सूरज दास, स्वामी ऋषिश्वरानंद, स्वामी शिवम महंत, महंत शुभम गिरि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन व गणमान्य लोग मौजूद रहे।