भ्रष्टाचार को सुविधा टैक्स का नाम..?

उत्तर प्रदेश बिजनौर (यूपी)

भ्रष्टाचार शिरोमणियों में शासन और संगठनों में काम करने वाले कुछ लोग भी हैं शामिल

भ्रष्टाचार जनता के विश्वास को कमजोर करता और विकास की प्रक्रिया को बाधित…!!

लेखक:रितेश सैन
संस्थापक/अध्यक्ष संस्कृति फाऊंडेशन
सामाजिक चिंतक
नजीबाबाद/बिजनौर।देश में आज भी ज्यादातर काम छोटे से बड़े तक,बिना घूस के संभव नहीं होते!लगता है भ्रष्टाचार जीवन का अभिन्न अंग हो गया है!अगर कभी भ्रष्टाचार को मौलिक अधिकार में शामिल करने की मांग उठने लगे, तब भी कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इसे अब सुविधा टैक्स नाम दे दिया गया है! भ्रष्टाचार शिरोमणियों का कहना है कि जिसे अवसर ही नहीं मिला, वही भ्रष्टाचार मिटाने की भड़ास निकालते रहता है! भ्रष्टाचार में प्रशासन के साथ-साथ अलग-अलग संगठनों में काम करने वाले कुछ लोग भी शामिल हैं। कुछ लोगों का कहना है कहीं लूट, रंगदारी, अपहरण, अवैध वसूली भ्रष्टाचार के लिए नए अवसर तो नहीं हैं?समकालीन देश की राजनीति अनेक गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है,लोकतंत्र और सामाजिक समरसता पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालती हैं! राजनेताओं और नौकरशाहों की रिश्वतखोरी, गबन और भाई-भतीजावाद जैसी गतिविधियों के कारण भ्रष्टाचार जनता के विश्वास को कमजोर करता है और विकास की प्रक्रिया में बाधा डालता है! धार्मिक और वैचारिक ध्रुवीकरण समाज में अस्थिरता और हिंसा को बढ़ावा देता है, जबकि आर्थिक असमानता अमीर और गरीब के बीच गहरी खाई उत्पन्न करती है और लाखों लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति को चुनौती देती है।नौकरशाही की अक्षमताएं और लालफीताशाही कुशल नीति-निर्माण एवं सेवा वितरण में बाधाएं उत्पन्न करती हैं! जबकि लोकलुभावन नेतृत्व अक्सर अल्पकालिक लाभ के लिए दीर्घकालिक नीति निर्धारण को कमजोर कर देता है।

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