
हरि न्यूज
हरिद्वार।गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के दयानंद स्टेडियम में अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद के एक सौ वे बलिदान दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत ओ3म् ध्वज पताका फहराकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो प्रतिभा मेहता लूथरा ने की। इस अवसर पर शोभायात्रा का आयोजन किया गया।

शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए पुनः दयानंद स्टेडियम मे पहंचकर सम्पन्न हुयी। लगभग ढ़ाई किलोमीटर लम्बी शोभायात्रा में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं शिक्षक व कर्मचारी क्रमबद्ध ढंग से स्वामी श्रद्धानंद के जयघोष के साथ जब सड़क पर उतरे तो वातावरण गुरुकुलमय हो गया। शोभायात्रा में विश्वविद्यालय के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद के जीवन से जुडे पहलुओं सहित विभिन्न झाकियां प्रस्तुत की गई।

श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि स्वतंत्रता सेनानी प्रो भारत भूषण विद्यालंकार ने कहा कि श्रद्धानन्द का अर्थ हर स्थिति व परिस्थिति में आनन्द की अनुभूति प्राप्त करना है। इसी भावार्थ को स्वामी श्रद्धानन्द ने अपने जीवन में साकार किया। उन्होंने जहां शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय शिक्षा व्यवस्था को एक नया स्वरूप प्रदान किया वहीं देश की आजादी के आंदोलन में सक्रियता से भाग ले अपनी भूमिका का निर्वाह किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समविश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 प्रतिभा मेहता लूथरा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि हम सभी देश के महान स्वतंत्रता सेनानी को नमन करते हुए उनके बताए मार्ग पर चल विश्वविद्यालय को शिक्षा व शोध के क्षेत्र में प्रगति के पथ पर ले जाने की दिशा में मिलकर कार्य करना है। इस दिशा में शीघ्र ही विश्वविद्यालय में अनुसंधान परक व नए पाठ्यक्रम शीघ्र ही संचालित किए जायेंगे। हम सभी को अपनी प्राचीन वैदिक ज्ञान परम्परा का अनुसरण करते हुए आधुनिक विषयों के साथ शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कार्य करना है।

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो दिनेशचंद्र शास्त्री ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के संस्थापक स्वामी श्रद्धानन्द को चार दृष्टिकोण से रेखांकित किया जा सकता है। पहला राष्ट्र के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, दूसरा शिक्षा, कला कौशल, तीसरा राष्ट्र की विपत्ति और वैदिक परंपरा की जीवन्त रखने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए देश मेें एक बार फिर से गुरुकुल के माध्यम से शुद्धि पाठ्यक्रम की शुरूआत होनी चाहिए।
गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0 नवनीत ने अपने संबोधन में कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने तत्कालीन अंग्रेजी शिक्षा के समकक्ष देश की युवा पीढ़ी को संस्कारवान व भारतीय वैदिक शिक्षा से ओत-प्रोत करने के लिए गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली की शुरूआत की। यह हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है हम सबको गुरुकुल के माध्यम से समाज व देश की सेवा करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। यह स्वामी श्रद्धानन्द की दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि वर्तमान भारत सरकार उनके द्वारा शुरू की गई गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति (वैदिक शिक्षा) को प्रोत्साहित कर रही है।
समविश्वविद्यालय के वित्ताधिकारी प्रो0 वी0के0 सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डा0 अजय मलिक, डा0 हिमाशु पण्डित व शशिकान्त शर्मा ने किया। इस अवसर पर छात्रों व छात्राओं ने विभिन्न सांस्कृतिक व ताईक्वाड़ों प्रस्तुतियों प्रस्तुत की।
इस अवसर पर प्रो0 आर0के0एस0 डागर, डा0 करतार सिंह, डा0 अनिता स्नातिका ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर प्रो0 मनुदेव, प्रो0 प्रभात कुमार, प्रो0 कर्मजीत भाटिया, प्रो0 एल0के0 पुरोहित, प्रो0 डी0एस0 मलिक, प्रो0 सत्यदेव निगमालंकार, प्रो0 विवेक कुमार, प्रो0 मुकेश कुमार, समीर श्रीवास्तव, प्रो0 पंकज मदान, प्रो0 मयंक अग्रवाल, डा0 एम0एम0 तिवारी, डा0 श्वेतांक आर्य, डा0 दीनदयाल, डा0 वेदव्रत, डा0 भारत वेदालंकार, डा0 सुयश भारद्वाज, रजनीश भारद्वाज, डा0 राजुल भारद्वाज, नरेन्द्र मलिक, दीपक वर्मा, दीपक आनन्द, रमेश, डा0 पंकज कौशिक, कुलभूषण शर्मा, हेमन्त सिंह नेगी, रविकान्त शर्मा, वीरेन्द्र पटवाल, मुकेश कपिल, रमाशंकर, उमाशंकर, महेश जोशी, अरविन्द, धर्मेन्द्र बिष्ट, नवीन, विकास कुमार, नीरज भट्ट, नीरज बिड़ला, राजीव कुमार, सुशील रौतेला, राजीव गुप्ता, कृष्ण कुमार, रणजीत सिंह, विजयपाल, अंकित कृष्णात्री सहित समस्त शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी, एन0सी0सी तथा एन0एस0एस0 के कैडेट्स व छात्र छात्राएं तथा नगर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
