
हरि न्यूज
हरिद्वार।उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से चल रही संस्कृत भाषा की अनुवाद विषयक कार्यशाला के दूसरे दिन किसी भी भाषा में अनुवाद के प्रकारों पर विस्तार से चर्चा परिचर्चा की गयी। इस दौरान विषय विशेषज्ञों ने अनुवाद के तीन प्रमुख प्रकारों पर व्याख्यान दिया। जिसमे डॉ धनेश पी वी, तथा श्री ओम शर्मा प्रमुख हैं।

शाम के सत्र में डॉ निरंजन मिश्र ने संस्कृत अनुवाद की आवश्यकता और उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज पूरे विश्व के विभिन्न देशों के बीच सहयोग और संस्कृति के संरक्षण आदान प्रदान के लिए अनुवाद एक सशक्त माध्यम है। भारतीय भाषा में अनुवाद करके ही हम किसी भी देश के किसी भी भाषा में रचित साहित्य को पढ़कर उस साहित्य के भाव को जान सकते हैं।
कार्यशाला मे़ं रूप से भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अकादमिक समन्वयक, डॉक्टर के. गिरिधर राव के साथ ही केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सूर्य कुमार जी रहे।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भारतीय भाषाओं में पुस्तकों का अनुवाद कर उनका प्रकाशन करने के लिए अनुदान देने की योजना बनायी है। किया जाएगा। जो सभी भारतीय भाषाओं के अनुवाद और उनके प्रचार को बढ़ावा देने के लिए सहायक होगी।
कार्यशाला के स्थानीय समन्वयक डॉ प्रकाश चन्द्र पन्त ने बताया कि इस कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा संस्कृत भाषा में एक विशेष अंश का अनुवाद कर विशेषज्ञ को दिया गया है जिसके आधर पर आगे की प्रशिक्षण योजनानुसार कार्य किया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम को भारतीय भाषाओं में विशेष रूप से संस्कृत भाषा में अनुवाद करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर विशेषज्ञों को प्रशिक्षण देने का प्रयास कर रही हैं।
कार्यशाला में विभिन्न संस्थानों के अनुवादक और लेखक प्रतिभाग कर रहे हैं। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग के प्रोफेसर धनेश पी.वी, डॉ. श्री ओम शर्मा ने संस्कृत अनुवाद में प्रयोग किए जाने वाले शब्दों तथा भाषा शैली पर व्याख्यान दिए। कार्यक्रम का संचालन उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. सुमन प्रसाद भट्ट ने किया।
संयोजक श्रीमती मीनाक्षी सिंह रावत ने बताया कि इस कार्यशाला में विशेषज्ञों ने भविष्य का भारत नामक पुस्तक को अनुवाद कर देने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि इस समयावधि में एक कुल पंजीकृत 42 प्रतिभागियों के द्वारा अगले 3 दिनों में 2 पुस्तकों का अनुवाद किया जाएगा।कार्यशाला में दूसरे दिन डॉ. कमलेश शक्टा, डॉ. हेमंत जोशी, डॉक्टर कुलदीप मेंदूला, डॉ. प्रकाश चंद्र जांगी, डॉ. राघव झा, डॉ. नवीन जसोला , जीवन चंद जोशी, डॉक्टर कुलदीप गौड़, डॉ. नीरज कुमार, सहित प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 42 प्रतिभागी उपस्थित रहे।
कार्यशाला में दूसरे दिन डॉ. कमलेश शक्टा, डॉ. हेमंत जोशी, डॉक्टर कुलदीप मेंदूला, डॉ. प्रकाश चंद्र जांगी, डॉ. राघव झा, डॉ. नवीन जसोला , जीवन चंद जोशी, डॉक्टर कुलदीप गौड़, डॉ. नीरज कुमार, सहित प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 42 प्रतिभागी उपस्थित रहे।