
मां ब्रह्मचारिणी तप, साधना और आत्मसंयम की प्रतीक हैं:श्रीमहंत रविंद्र पुरी
हरि न्यूज
हरिद्वार। शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। मंत्रोच्चार और दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप का भावपूर्ण वर्णन करते हुए कहा कि नवरात्र की द्वितीय तिथि को पूजित देवी ब्रह्मचारिणी तप, साधना और आत्मसंयम की प्रतीक हैं। “ब्रह्म” का अर्थ है तपस्या और “चारिणी” का अर्थ है उसका पालन करने वाली। मां ब्रह्मचारिणी का पूजन साधकों को जीवन में धैर्य, साहस और आत्मबल प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करने से साधक की साधना में स्थिरता आती है और वह अपने आध्यात्मिक लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है। देवी के इस रूप की आराधना से व्यक्ति को ज्ञान, वैराग्य और विवेक की प्राप्ति होती है।
महाराज जी ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि नवरात्र के इन नौ दिनों में देवी के विभिन्न स्वरूपों की आराधना कर वे अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। संयम, सेवा, और साधना के माध्यम से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त की जा सकती है।