
हरि न्यूज
नैहाटी। नेहाटी उत्तर 24 परगना , पश्चिम बंगाल – शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर अविनाश ने कथांकन पब्लिकेशन हाउस के छत्रछाया में काव्य प्रहरी संकलन का भव्य लोकार्पण किया । यह संकलन हिन्दी साहित्य जगत में एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार करेगा।काव्य प्रहरी एक ऐसा काव्य संकलन है, जिसमें जीवन के विविध रंगों को कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक भावनाओं, संवेदनाओं और समाज की सच्चाइयों का दर्पण है। इसमें प्रेम, प्रकृति, संस्कृति, मानवीय रिश्तों और राष्ट्रभक्ति जैसे विषयों इत्यादि को हृदयस्पर्शी शैली में पिरोया है जो प्रत्येक पाठक को सोचने पर विवश करती है और जीवन के गहरे पहलुओं को उजागर करती है। “काव्य प्रहरी” संकलन नए और अनुभवी लेखकों की सोंच को एक पुस्तक में पिरोया गया संकलन हैं जिसका मूल उद्देश्य नए पीढ़ी के पाठक वर्गों को सही राह पर ले जाते हुए साहित्य के प्रति सम्मान और रूचि पैदा करना हैं । यह पुस्तक पाठकों को आत्मीयता, संवेदना और जीवन दर्शन से जोड़ते हुए कविता की शक्ति का एहसास कराती है। इस पुस्तक को सफल बनाने में कुल 30 काव्य प्रहरी मुक्ता गिल, डॉक्टर गणपतराव श्रीपतराव माने, प्रेमलाल किशन ,महेंद्र कुमार मिठारवाल , कृष्णा पंचाल , विमल पंचाल ,तहसीन परवीन,रीना कुमारी,डा० कर्नल आदि शंकर मिश्र ,नेहा वार्ष्णेय , गार्गी घोष , अभिलाषा जयसवाल , डॉ अमरपाल सिंह , विजय आनन्द , आयशा , डॉ शशांक शेखर मंडल ,डॉ. जया सुभाष बागुल, नेहा कुमारी ,रचना बढ़िया, राजीव कुमार , भक्ति दीपक ,डॉ रुपाली गर्ग,श्रवण कुमार साहू,मुकेश सुरेश रुनवाल,प्रेमचंद,रामकुमारी,नदीम अहमद सिद्दीक़ी,किरण बाला ,डा, तरूण राय कागा,आरती दुबे शामिल हैं |
अविनाश कुमार साह का जन्म 23 मार्च ,2000 को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी नामक स्थान पर हुआ | उनके पिता का नाम स्वर्गीय विजय कुमार साह और माता का नाम उमा देवी है | उन्होंने प्राथमिक शिक्षा “नैहाटी प्राथमिक हिंदी शिक्षालय”, दसवीं और बारहवीं की शिक्षा “नैहाटी आनन्द स्वरूप हाई स्कूल ” और उच्च शिक्षा “इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय” (स्नातक एवं स्नातकोत्तर )से प्राप्त की हैं |पिछले 6 वर्षों से उन्होंने अपनी कृतियों के द्वारा हिंदी साहित्य को नयी दिशा की और ले जाने का प्रयास किया है |उनके लेखन श्रोत की अगर बात करे तो वैश्विक स्तर पर चल रहे अपवाह , उच्च शिक्षा प्राप्त करके भी लोगों में मूर्खता की जगह , स्वतंत्रता पश्चात् भारतीय समाज की स्थिति, भारत के इतिहास से दूर भागना और प्रकृति सम्बंधित चिंतन इत्यादि सम्मिलित है, जिसे कविता के रूप में पिरोकर मानव जगत को सही राह पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं |सह-लेखक के रूप में उनकी 22 हिंदी कविताएँ , 3 बंगला कविताएं, 1 कहानी,1आलेख प्रकाशित की जा चुकी है | उनके श्रेष्ठ कविता में शहीद भगत सिंह ,मर्द मराठा ,खूबियों पर आस्था चौदह फरवरी ,नालंदा ,सायंतनी इत्यादि शामिल है | इसके अतिरिक्त उन्होंने लोक में प्रचलित हिंदी-अंग्रेजी मिश्रित भाषा में व्यंग्यात्मक कविता के रूप में ‘SOCIAL MEDIA के कीड़े’ भी लिखी हैं | संकलक के रूप में इनकी दो संकलन “प्रकृति की गाथा” तथा “स्वराज के दीवाने ” प्रकाशित की जा चुकी हैं | अन्य रूचि में संगीत ,चित्रकला और मिमिक्री जैसी चीजे शामिल है |