
देव वाणी संस्कृत में रचित है हमारे पुरातन धार्मिक ग्रंथ तथा उनके मूल में है विश्व कल्याण की भावना:भगवान दास शर्मा ‘प्रशांत’
इटावा।आज विश्व संस्कृत दिवस यानि श्रावण पूर्णिमा के पावन दिवस पर मैं संस्कृत के प्रति अपने उद्गार व्यक्त करते हुए युवा पीढ़ी से एक अनुरोध करना चाहता हूं। आज की युवा पीढ़ी शिक्षित तो हो रही है, किंतु उनमें संस्कारों की कमी देखी जा सकती है। संस्कारों और मानवीय मूल्यों में कमी का मुख्य कारण हमारी समृद्धिशाली प्राचीन संस्कृति से विमुख होना है। संस्कृत वैज्ञानिक भाषा तो है ही, साथ ही संपूर्ण विश्व के कल्याण की भी भाषा है। इसका व्याकरण और शब्द भंडार बहुत ही समृद्ध है। संस्कृत की वैज्ञानिक संरचना और व्याकरण दुनिया की सबसे सटीक भाषाओ में से एक बनाती है। हमारे ऋषि मुनियों ने भी सभी प्राचीन ग्रंथों जिनमें वेद, पुराण, उपनिषद, आरण्यक, वेदांग, गणित भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, ज्योतिषि, रामायण और महाभारत जैसे तमाम ग्रंथों की रचना और इन पर शोध और पद्धतियां संस्कृत में भाषा में ही लिखी गई है। इनके अंदर छुपे ज्ञान को समझने और जानने के लिए हमें संस्कृत भाषा को जानना होगा। संस्कृत में रचित सुभाषित सदवचन ज्ञानवर्धक कहानियां नीतिपरक युक्तियां न केवल भारत की कल्याण की, अपितु विश्व के कल्याण की बात करते हैं। और संपूर्ण विश्व को ही अपना परिवार मानते हैं। हमारे वैदिक ग्रंथों में सर्वे भवंतु सुखिन:, अतिथि देवो भव:, वसुधैव कुटुंबकम, अहिंसा परमो धर्म:, सत्यमेव जयते जैसे सदवाक्यौ में विश्व कल्याण की भावना देखी जा सकती है। इसलिए संस्कृत त्याग और प्यार की भाषा भी है। संस्कृत पढ़ना बहुत जरूरी है। संस्कृत भाषा से संस्कृति जुड़ी है और संस्कृति से संस्कार। संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है इसलिए इसे देव वाणी भी कहा जाता है। विश्व में जितनी भी भाषण फलित हुई हैं उनके अक्षर संस्कृत भाषा से ही निकले हैं। मैं उन तमाम अभिभावकों से निवेदन करना चाहूंगा कि संस्कृत को वैकल्पिक भाषा न बनाकर अनिवार्य भाषा बनाएं और अपने बच्चों को संस्कृत भाषा सिखाए और इसके महत्व को समझाए।अन्य भाषाएं भी खूब पढ़े लेकिन संस्कृत जरूर पढ़ें। संस्कृत में उच्चारण और लेखन का गहरा संबंध है। जैसा लिखा जाता है वैसा ही उच्चारण किया जाता है। संस्कृत को दुनिया के सबसे पुरानी भाषाओं में से एक माना जाता है। इसके लिखित प्रमाण 3500 साल से भी अधिक पुराने हैं संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था यूनेस्को ने भी संस्कृति को विश्व की सबसे शुद्ध समृद्धि और वैज्ञानिक भाषा के रूप में मान्यता दी है। आपको जानकार बड़ा हर्ष होगा कि नासा के वैज्ञानिकों ने संस्कृत भाषा पर शोध कर पाया है कि कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग के लिए भी संस्कृत सबसे आदर्श और उपयुक्त भाषा है। संस्कृत दिवस हमें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और इस महान भाषा पर गौरव करने का मौका है। साथ ही फिर से अपने गौरव को स्थापित करने का मौका देता है।
जयतु भारतम्, जयतु संस्कृतम्।।
भगवानदास शर्मा ‘प्रशांत’
शिक्षक सह साहित्यकार
इटावा उत्तर प्रदेश