राष्ट्र को मां भारती के वीर सपूतों के परिवारों के प्रति कृतज्ञता,आदर और सम्मान का भाव रखना चाहिए:गिरीश अवस्थी

उत्तराखंड हरिद्वार

हरि न्यूज

हरिद्वार।कारगिल विजय दिवस (शौर्य दिवस) के अवसर पर उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में संस्कृत शास्त्रो में शौर्य एक परम्परा विषय पर एक दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ छात्राध्यापक मनमोहन शुक्ला के वैदिक मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कार्यक्रम की संयोजक श्रीमती मीनाक्षी सिंह रावत ने अतिथियों का वाचिक स्वागत किया ।

कार्यक्रमाध्यक्ष के रुप में उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने उद्बोधन देते हुए कहा कि आज का दिन माँ भारती के वीर सपूतों को सम्मान देने एवं उनकी विजय गाथाओं को याद करने का है।इन वीर सपूतों ने अपना बलिदान माँ भारती के लिए हंसते- हंसते कर दिया । आज के युवाओं को इन वीर सपूतों से प्रेरणा लेनी चाहिए और सदैव राष्ट्रहित में अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए तैयार रहना चाहिए । राष्ट्र को सदैव ऐसे मॉं भारती के वीर सपूत के परिवार के प्रति कृतज्ञता ,आदर और सम्मान का भाव रखना चाहिए ।कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ० विन्दुमती द्विवेदी ने कहा कि रामायण में श्रीराम एवं हनुमान का शौर्य,महाभारत में अभिमन्यु की वीरता शौर्य के प्रतीक हैं ।उद्बोधन को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता , बृहदत्रयी तथा शिवराज विजय नाटक में छत्रपति शिवाजी के शौर्य सदैव हमें प्रेरणा देते हैं ।सह वक्ता डॉ० अरविंद नारायण मिश्र ,प्रभारी विभागाध्यक्ष, शिक्षाशास्त्र ने कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के अदम्य साहस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय सैनिक अपने अदम्य साहस और मिशन को पूर्णता देने के लिए सम्पूर्ण विश्व में जाने जाते हैं । भारत के इतिहास के अध्ययन करने से जानकारी मिलती है कि भारत पर बार – बार आक्रमण करने वाले आक्रान्ताओं पर भी हमने विश्वास किया और उनके द्वारा किए गये विश्वासघात का हमने डटकर जवाब दिया।भारत पहले भी शूरवीर था आज भी है और कल भी रहेगा ।कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रुप में उपस्थित डॉ० अरुण कुमार मिश्र ने शौर्य दिवस की वर्तमान प्रासंगिकता पर बात करते हुए वेद को यज्ञ की शक्ति कहा । भारतीय ऋषियों मुनियों द्वारा यज्ञ में विभिन्न कलाओं का प्रदर्शन करवाया जाता रहा है जिसमें शौर्य और शक्ति की कला भी सम्मिलित थी।यह युग शौर्य शक्ति और सनातन का युग है ।कार्यक्रम में छात्राध्यापक जगदीश चंद्र पांडेय ने विचार व्यक्त करते हुए कहा की शौर्य वह नही जो तलवारें उठवाये।सौरभ ने काव्य प्रस्तुति से कहा – जो करेगा छुपकर वार ,उस पर होगा वज्र प्रहार । तथा हर्षित द्वारा कारगिल विजय दिवस को शौर्य दिवस के रूप में मनाये जाने की ऐतिहासिकता के महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम संयोजक मीनाक्षी सिंह रावत ने संस्कृत साहित्य शौर्य एक परम्परा और कारगिल विजय के स्मरणीय बिंदुओ की चर्चा कर वीर शहीद सैनिको को शाब्दिक श्रद्धाजंलि अर्पित की *बर्फ़ीली चोटियों पर लिखा,बलिदानों का इतिहास है।हर दिल में गूंज रहा आज,वीरों का वो विश्वास है।अंत में डॉ० श्वेता अवस्थी ने धन्यवाद करते हुए कहा कि सैनिक बॉर्डर पर तैनात हो सुरक्षा प्रदान करते है अतः विद्यार्थियों को भी राष्ट्र प्रेरणा की जागृति हेतु स्वयं को उत्तम नागरिक बनने के लिए प्रेरित करना चाहिए । सामुहिक शांतिपाठ के साथ ऑनलाइन कार्यशाला का समापन किया गया।कार्यक्रम में प्रो ० मोहन चन्द्र बलोदी , डॉ प्रकाश चन्द्र पन्त , डॉ राजेश चन्द्र: , डॉ विनय कुमार सेठी , डॉ सुमन प्रसाद भट्ट , डॉ सुशील चमोली,डॉ कंचन तिवाड़ी, डॉ महेश ध्यानी, शोधकारी, विभिन्न विभागों के शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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