देसंविवि में हुआ हिमालय पर्यावरण संवाद कार्यक्रम,वक्ताओं ने पर्यावरण संतुलन के सुझाये विविध उपाय

उत्तराखंड हरिद्वार


*प्राणी मात्र की समस्त आवश्यकताओं को पूरी करती हैं धरती : श्री भूपेन्द्र यादव
*देसंविवि शांतिकुंज है कई दशकों से जीरो कार्बन फूटप्रिंट क्षेत्र : डॉ चिन्मय पण्ड्या
*प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग नहीं सदुपयोग करना :न्यायाधीश श्री अफरोज अहमद
*अतिथियों ने किया विभिन्न पत्रिकाओं का विमोचन

हरि न्यूज

हरिद्वार 20 सितंबर।पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री (भारत सरकार) श्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि धरती भोजन, ऊर्जा से लेकर प्राणी मात्र की समस्त आवश्यकताओं को पूरी करती हैं। धरती व पर्यावरण को बचाये रखने के लिए हमारा विजन क्लियर होना चाहिए। गायत्री परिवार का विजन विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय से समाज व राष्ट्र का विकास करना है।
वे 4225 वृक्षों की छाया में बसा देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित हिमालय पर्यावरण संवाद कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जब हम ईश्वरीय उपहारों एवं प्रकृति का सम्मान करना भूल जाते हैं, तभी विभिन्न समस्याएं खड़ी होती है। प्राणिमात्र द्वारा उपयोग किये जाने वाले प्रत्येक संसाधनों का मूल स्रोत धरती ही है। पर्यावरण संरक्षण के विषय पर पूज्य पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने कई दशक पहले ही अपनी पुस्तकों में लिख दिया है।
संवाद कार्यक्रम के अध्यक्ष व देसंविवि के प्रतिकुलपति युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि भारत की भूमि देवों की भूमि है। भारत हमारी माता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति से उबरने के लिए हमें उनसे अपनेपन के साथ जुडऩा होगा। तभी भारत समृद्ध होगा और पर्यावरण का संतुलन होगा। युवा आइकान ने बताया कि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज कई दशकों से जीरो कार्बन फूटप्रिंट क्षेत्र है। गायत्री परिवार विगत कई दशकों से इस दिशा में कार्य कर रहा है। समस्याएं कोई भी हो, उसका समाधान हमारे आर्षग्रंथों में निहित है।
विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय हरित अधिकरण के माननीय न्यायाधीश श्री अफरोज अहमद ने कहा कि मुझे गायत्री परिवार के कई कार्यक्रमों मेें शामिल होने का मौका मिला है। आचार्यश्री के विचारों में महान व्यक्तित्व गढऩे का सूत्र भरा है। माननीय न्यायाधीश ने कहा कि पर्यावरण संतुलन हेतु प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग नहीं, सदुपयोग करना चाहिए। भारतीय नदी परिषद् के अध्यक्ष श्री रमन कांत जी ने पौराणिक ग्रंथों के विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से पर्यावरणीय संतुलन बनाये रखने के साथ ही भौतिक विकास करने की वकालत की। राष्ट्रीय नदी परिषद् के सलाहकार श्री मनु गौड़ ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए पर्यावरण को बचाये रखना आवश्यक है।
इससे पूर्व अतिथियों ने प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना कर हिमालय और पर्यावरण को बचाये रखने हेतु विशेष प्रार्थना की। साथ ही वीर सैनिकों की याद में बने शौर्य दीवार पर अपनी भावांजलि अर्पित की। समापन से पूर्व युवा आइकॉन डॉ पण्ड्या एवं केन्द्रीय मंत्री श्री यादव सहित अतिथियों ने विभिन्न पत्रिकाओं का विमोचन किया। कुलपति श्री शरद पारधी एवं युवा आइकॉन डॉ पण्ड्या ने अतिथियों को गायत्री महामंत्र चादर, रुद्राक्ष की माला एवं देसंविवि शांतिकुंज के प्रतीक चिह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया। इस अवसर पर व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि, जिला प्रशासन के अनेक अधिकारीगण, देसंविवि व शांतिकुंज परिवार सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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