शिक्षक दिवस विशेष : भविष्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते शिक्षक

उत्तराखंड हरिद्वार

भगवानदास शर्मा प्रशांत
शिक्षक सह साहित्यकार
इटावा उत्तर प्रदेश

हरि न्यूज
आज शिक्षक दिवस मनाने का उद्देश्य शिक्षकों के महत्व को बढ़ावा देना और शिक्षकों को सम्मानित करने का आभार व्यक्त करना है। आज के दिन शिक्षा क्षेत्र में उत्कर्ष योगदान करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाता है। हमारी श्रेष्ठ भारत भूमि पर अनेक महान विभूतियों ने जन्म लिया उनमें से एक महान शिक्षाविद, दार्शनिक, विचारक और लेखक भारत रत्न से सम्मानित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस 5 सितंबर को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हमारे देश के प्रथम उपराष्ट्रपति एवं द्वितीय राष्ट्रपति थे। अध्यात्म और दर्शन में इनकी विशेष रूचि थी। “द फिलॉसफी ऑफ इंडिया” इनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। इनका मानना था की पुस्तके वह साधन है जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कार संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं। वह कहते थे कि यदि सही तरीके से शिक्षा दी जाए तो समाज की अनेक कुरीतियों को समाज से मिटाया जा सकता है। वैश्विक शांति, समृद्धि और स्वाध्याय में शिक्षा का विशेष योगदान है। शिक्षक हमारे जीवन के महत्वपूर्ण निधि भी है। शिक्षक ही हमारे जीवन की सही दिशा देने और भविष्य निर्माण के महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बिना शिक्षक के मार्गदर्शन के हम अपने अच्छे जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। अगर द्रोणाचार्य न होते तो अर्जुन, एकलव्य जैसे धनुर्धर न होते, अगर रामकृष्ण न होते तो विवेकानंद भी न होते, अगर चाणक्य न होते तो चंद्रगुप्त न होते, अगर शिव सुब्रमण्यम अय्यर न होते तो डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम न होते, अगर रमा कांत आर्चेकर न होते तो सचिन तेंदुलकर न होते। ऐसे अनेको उदाहरण है जो बताते हैं कि महान शिक्षकों के सानिध्य में रहकर ही वह महान बन पाए। कहा भी गया के छोटे बच्चे उस गीली मिट्टी की तरह होते हैं उन्हें जिस सांचे में ढालो वही बन जाते है। यदि दीपक के सांचे में डालो तो वह प्रकाश देने वाले दीपक बनकर जीवन भर जग को प्रकाश देते है। और अगर उन्हें सही मार्गदर्शन ना मिला गलत सांचे में ढल गए तो वह उनका जीवन समाज के लिए मुसीबत बनकर अंधकारमय हो जाता है। पुस्तकों में लिखा गया ज्ञान धरा रह जाता है यदि उस ज्ञान को दिखाने वाले शिक्षक न हो। हमारे जीवन में शिक्षक का क्या स्थान होता है यह सिकंदर के शब्दों में समझा जा सकता है। “मैं जीने के लिए अपने माता-पिता का ऋणी हूं लेकिन अच्छे से जीने के लिए अपने गुरुओं का” और यह सच है कि बिना अच्छे शिक्षक के बिना हम अपने अच्छे जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। वास्तव में शिक्षक हमारे समाज की रीढ़ की हड्डी की तरह है जो छात्रों के व्यक्तित्व को आकार देते हैं। और भविष्य को उज्ज्वल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह भी सच कहा गया है कि शिक्षक माता-पिता से बढ़कर और महान होते हैं। क्योंकि माता-पिता तो जन्म और परवरिश देते हैं, लेकिन अच्छा शिक्षक उनको सही व्यक्तित्व के साथ-साथ बच्चों के भविष्य की बुनियाद भी डालता है और उन्हें हमेशा आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता रहता है। जहां दूसरे लोग हमारे गलतियों पर उंगली उठाते हंसते हैं, वहीं शिक्षक हमारी गलतियों को सुधारते हुए हमें प्रोत्साहित करते हैं और आगे बढ़ाने की प्रेरणा देते हैं। हमारे जीवन में आत्मविश्वास पैदा करने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक हमें केवल किताबी ज्ञान को ही नहीं बल्कि हमारे अंदर विद्यमान असीम क्षमताओं को पहचान कर निखारते हैं। हमारे अंदर मूल्यों का समावेश करते है। गुरु हमें अच्छा बनने में मदद करते हैं। शिक्षकों के निरंतर सकारात्मक प्रयासों से विद्यार्थियों की मानसिक विकास होता है। शिक्षक और गुरु शिष्य का संबंध बहुत ही पवित्र और प्राचीन है। हम अगर भक्तिकालीन संतों को देखें तो कबीर, रहीम, रसखान, तुलसी, जायसी,मीरा आदि ने गुरु की महत्ता को समझाया है। हमें इनको पढ़ने की भी जरूरत है हमें अपने शिक्षकों को सदैव आदर करना चाहिए। क्योंकि हम दुनिया के सभी सभी अधूरे हैं और हमें पूर्णता की ओर हमारे शिक्षक ही ले जाते हैं। व्यक्ति के जीवन में शिक्षा और शिक्षक दोनों ही विशेष महत्व रखते है। एक अच्छा शिक्षक बालक के अंदर छुपी प्रतिभा को निखार कर जौहरी की तरह तरास कर हीरा बनाते हैं। आज शिक्षक दिवस पर अगर शिक्षकों की बात होती है। तो देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का नाम आता है। जिन्होंने बालिका शिक्षा पर विशेष बल दिया था।

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